




शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की 118वीं जयंती पर हुआ प्रेरणादायक आयोजन — स्व. सुशील वाजपेयी की स्मृति में उमड़ा युवाओं का जनसैलाब
आजादी की अलख जगाने वाले क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की 118वीं जयंती पर, नगर में एक भावनात्मक और प्रेरणास्पद आयोजन किया गया। परंपरा के अनुसार पावन नगरी देवझिरी से मां नर्मदा का पवित्र जल लाकर आज़ाद जी की प्रतिमा पर दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक और माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर नगरवासियों और युवाओं ने राष्ट्रभक्ति की मिसाल पेश करते हुए, उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के पश्चात हमेशा की तरह केक भी काटा गया ओर मिठाई वितरित की गई।
🌟 सुशील वाजपेयी जी की अनुपस्थिति में भी जीवंत रही उनकी प्रेरणा
हर वर्ष इस आयोजन के सूत्रधार रहे स्वर्गीय सुशील वाजपेयी पहलवान भले ही आज हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन उनका संकल्प, उनका नेतृत्व और उनकी प्रेरणा आज भी हर युवा के दिल में धड़कती रही।
इस वर्ष उनकी धर्मपत्नी सुनीता सुशील वाजपेयी ने उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जैसे उनके विचारों को जीवंत कर दिया हो। आयोजन की हर झलक में सुशील जी की स्मृतियाँ और शिक्षाएँ परिलक्षित होती रहीं।
👥 उपस्थित गणमान्यजन व युवा शक्ति:
जय बजरंग व्यायामशाला, शक्ति युवा मंडल और नगर के कई वार्डों से सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। जिन प्रमुख नामों ने इस आयोजन को गौरवमयी बनाया, वे हैं:
यशवंत भंडारी, नारायण सिंह ठाकुर, चंदर सिंह चंदेल, प्रेम सिंह, मांगू भाई ,रेखा शर्मा (वार्ड क्रमांक 1 की पार्षद), अनिला बेस (वार्ड क्रमांक 6 की पार्षद) सुनीता सुशील वाजपई, भारती सोनी, उमेश मेड़ा, गुलाब गुंडिया,अजय गुंडिया, राजेश बारिया, राकेश चौहान, संजय भूरिया, राजीव शुक्ला, नानुड़ी चारेल, अवंतिका भूरिया, नरेंद्र चौहान, दिलीप, लकी, दिनेश, बाबू, मनोज परमार सहित बड़ी संख्या में खिलाड़ी और नागरिक उपस्थित रहे।
🔥 युवाओं में दिखा आज़ादी का जोश और सेवा का संकल्प
कार्यक्रम के दौरान युवाओं ने शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की प्रतिमा के समक्ष राष्ट्रसेवा और समाज कल्याण का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि वे आज़ाद जी के विचारों को अपनाकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करते रहेंगे। साथ ही स्व. सुशील वाजपेयी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सामाजिक एकता, युवा सशक्तिकरण और जनसेवा को अपनी प्राथमिकता बनाएंगे।
📜 यह आयोजन बना देशप्रेम और जागरूकता का प्रतीक
यह आयोजन मात्र एक परंपरा नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति जागरूकता, वीरता और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक बन गया है। शहीद आज़ाद जी को समर्पित यह श्रद्धांजलि, एक जन-जागरण के रूप में उभरी, जिसमें हर उम्र के नागरिकों ने भाग लेकर यह सिद्ध कर दिया कि देशभक्ति अब भी हमारी रगों में दौड़ रही है।